मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध | Mere Jivan Ka Lakshya Essay In Hindi

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मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध | Mere Jivan Ka Lakshya Essay In Hindi.


जीवन में लक्ष्य खोजना उतना कठिन नहीं है जितना उन्हें पूर्ण करने की राह पर चलना . हमारे आस पास ऐसे लोग भी मिल जाएगे, जिनके जीवन का ध्येय ईश्वर प्राप्ति अर्थात भक्ति हो जाता हैं तथा वे वैराग्य धारण कर लेते हैं. जीवन में कुछ बनने या पाने की प्रबल इच्छाओं को साकार रूप देने में चंद भाग्यशाली लोग ही सफल हो पाते हैं. दृढ़ इच्छा-शक्ति वाले लोग साधारणतया अपने लक्ष्यों को साधने में कामयाब हो जाते हैं ।

बच्चों की समस्या :

स्कूल में पढने वाला बच्चा अपने संग कई सपने सजोकर रखता हैं. उन्हें सब कुछ बनना अच्छा लगता हैं. जैसे डोक्टर, खिलाड़ी, अभिनेता, शिक्षक आदि. कभी उनका मन किसी को देखकर कुछ बनने का करता हैं तो कभी कुछ और भी, इस तरह उन्हें लिए जीवन का कोई एक लक्ष्य नहीं बन पाता हैं . जैसे जैसे बच्चे की आयु बढ़ती हैं उनका रुझान भी साफ होने लगता हैं. उसे अपने रूचि के अनुसार पेशा अच्छा लगने लगता हैं. यदि किसी को क्लाश में पढाना अच्छा लगता है तो वह शिक्षक बनना चाहता हैं, रोगियों की मदद करने के रूचि है तो डोक्टर बनेगा. देश की सेवा के लिए नेता व सीमा पर जाकर लड़ने का शौक है तो सिपाही बनेगा ।

कई बार बच्चे बड़े होकर अपने जीवन का लक्ष्य कुछ निर्धारित कर लेते हैं जबकि माता पिता की अपेक्षाएं व सपने उनसे अलग ही होते हैं. बच्चे की रूचि खेल में हैं मगर माँ बाप उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते हैं. एक तरह से यह उस बच्चे की इच्छाओं पर मनमर्जी होगी. परिजनों को चाहिए कि बालक की इच्छाओं को दबाने की बजाय उनकी मदद करे, प्रोत्साहित करे तो निश्चय ही वह एक दिन बड़ा आदमी बन सकेगा

जीवन में लक्ष्य का महत्व

लक्ष्य जीवन को दिशा देते हैं तथा उन प्रयासों को सार्थक बनाते है जो उस सपने को पूरा करने के लिए किये जा रहे हैं. यदि जीवन का कोई लक्ष्य निर्धारित न हो तो फिर जाना कहाँ है किस तरफ जाना हैं, समझना कठिन हो जाता हैं. उदहारण के लिए मानिए आप एक गेंदबाज है और पिच पर स्टम्प न हो और आपकों गेंदबाजी करने को कहा जाए, या फिर आप फ़ुटबाल के खिलाड़ी है और मैदान से गोल पोस्ट को हटा दिया जाए तो क्या हालात होंगे. उस स्थिति में आप कितना भी पसीना बहाए आपकी मेहनत का कोई परिणाम नहीं निकलेगा. मेहनत तो की जा रही हैं मगर अदिश मेहनत में न कोई लक्ष्य है न ही कोई दिशा।

मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं शिक्षक बनू, तथा अपने शिक्षा ज्ञान से देश की भावी पीढ़ी में संस्कारयुक्त शिक्षा पहुंचा सकू. साथ ही ऐसे बच्चों को विद्यालय से जोड़ सकू जो कभी विद्यालय न गये हो. मैं इस बात को भली भांति जानता हूँ कि आज के दौर में शिक्षक बनना बिलकुल भी आसान नहीं हैं।

शिक्षक बनने की न्यूनतम योग्यताएं मैं अर्जित कर चुका हैं। इस दिशा में मेरा पहला प्रयास भी असफल रहा, मगर मुझे अपने प्रयास से इतना विश्वास हो गया कि यदि थोड़ी और तपस्या की जाए तो शिक्षक बनने का मेरा सपना पूरा हो सकता हैं. मैंने शुरू में ही यह निर्णय कर लिया कि मुझे अपने सपने को साकार करने के लिए जितनी कड़ी मेहनत की आवश्यकता होगी मैं उससे अधिक बढकर मेहनत करुगा साथ ही सफल साथियों व गुरुजनों के आशीर्वाद व मार्गदर्शन मेरी राह को आसान बनाएगे ।

मेरे प्रदेश में कई ऐसे विद्यालय है जहाँ कोई शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में देश का भावी भविष्य के प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं हैं. यदि शिक्षक लगे भी है तो वे बच्चों के स्तर को सुधारने की तरफ गम्भीरता से ध्यान नहीं देते. यही वजह है कि गाँवों से आने वाले बच्चें आगे चलकर शहरी बच्चों से गणित, अंग्रेजी व विज्ञान जैसे विषयों में पिछड़ जाते हैं. यदि मैं शिक्षक बन पाया तो मेरा पहला ध्येय बच्चों के शिक्षा स्तर में आमूलचूल बदलाव, उन्हें आरम्भिक कक्षाओं में विषयों को आकर्षक तरीके से समझाया जाए तो वे आगे जाकर उनमें फिसड्डी नहीं होंगे. मेरा ध्यान उन बच्चों की तरफ अधिक रहेगा जो बेहद कमजोर है तथा उन्हें शिक्षा की उचित सुविधाएँ नहीं मिल पाती हैं ।

अपने व्यक्तिगत प्रयासों से जरूरतमंद बच्चों के लिए शिक्षण सामग्री का प्रबंध कर नित्य विद्यालय से पहले या बाद में ऐसे बच्चों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर उन्हें मुख्य धारा में लाने का प्रयास रहेगा । विभाग के आदेश के अनुसार आज भी हमारे स्कूलों में वर्ष में दो छात्र अभिभावक सम्मेलन कराए जाने की व्यवस्था हैं मगर इस नवाचार को शिक्षक व्यवहारिक रूप देने की बजाय लीपापोती कर कागजों में ही मीटिंग करवा लेते हैं।

यदि समय समय पर अभिभावकों की विद्यालय में मीटिंग होती हैं तो यह बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती हैं. माता पिता से बच्चों का फीडबैक लेना, उनकी समस्याओं की चर्चा करना, अभिभावकों को उनके बच्चों के कर्तव्य बताना, शिक्षा और अधिक सुगम और सरस बनाने के उपायों पर चर्चा करना जैसे महत्वपूर्ण कार्य किये जा सकते हैं।

शिक्षकों का महत्व

गुरु का दर्जा ईश्वर से ऊपर माना गया हैं. वह गुरु ही है जो एक कोरे मस्तिष्क पर मनचाही आकृति को बनाकर बच्चे को एक रूप देता हैं लोगों के अंदर के अज्ञान को समाप्त कर ज्ञान का दीपक जलाकर उनके जीवन को सार्थक बनाता हैं।

पद, पैसा, शौहरत बड़ी आसानी से कमाई जा सकती हैं, बहुत से उद्यम में ये आसानी से मिल जाते हैं. मेरे शिक्षक बनने के सपने की ओर प्रेरित करने वाली चीज सेवा और राष्ट्र निर्माण हैं. मेरा मानना है कि सेवा तो किसी भी क्षेत्र में की जा सकती हैं मगर शिक्षा में यदि सेवा का भाव हो तो निश्चय ही वह शिक्षा राष्ट्र निर्माण में सहायक सिद्ध होगी ।

हमारे देश का भविष्य कैसा होगा, यह बात इस पर निर्भर करता हैं हमारे स्कूल कैसे हैं हमारे अध्यापक कैसे है, शिक्षक व्यवस्था कैसी इस बात पर सब कुछ निर्भर करता हैं यदि मैं शिक्षक बना तो स्वयं को सौभाग्यशाली मानुगा कि एक ऐसी व्यवस्था का हिस्सा बनूगा जिसके हाथ में राष्ट्र निर्माण की बागडौर होगी. मैं पूर्ण ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के साथ राष्ट्र निर्माण के इस अभियान में अपना पूर्ण योगदान दूंगा ।



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