परमाणु ऊर्जा पर निबंध | Nuclear Energy Essay In Hindi

परमाणु ऊर्जा पर निबंध | Nuclear Energy Essay In Hindi
नाभिकीय विखण्डन के दौरान उत्पन्न ऊर्जा को नाभिकीय या परमाणु ऊर्जा कहा जाता है । नाभिकीय विखण्डन वह रासायनिक अभिक्रिया है, जिसमें एक भारी नाभिक दो भागों में टूटता है ।नाभिकीय बिखण्डन अभिक्रिया ‘श्रृंखला अभिक्रिया’ होती है । जब एक अभिक्रिया से स्वतः दूसरी अभिक्रिया होती है, तो उसे श्रृंखला अभिक्रिया कहा जाता है। इसी सिद्धान्त के आधार पर परमाणु बम का निर्माण किया जाता है । नियन्त्रित श्रृंखला अभिक्रिया धीरे-धीरे होती है तथा इससे प्राप्त ऊर्जा का उपयोग लाभदायक कार्यों के लिए किया जा सकता है परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के लिए नाभिकीय रिएक्टर में यही अभिक्रिया अपनाई जाती है ।
सबसे पहली नाभिकीय विखण्डन अभिक्रिया, अमेरिकी वैज्ञानिक स्ट्रॉसमैन एवं ऑटो होण ने प्रदर्शित की, इन्होंने जब यूरेनियम 235 परमाणु पर न्यूट्रनों की बमबारी की, तो पाया कि इनके नाभिक दो खण्डों में विभाजित हो गए । जब यूरेनियम पर न्यूट्रोनों की बमबारी की जाती है, तो एक यूरेनियम नाभिकीय विखण्डन के फलस्वरूप बहुत अधिक ऊर्जा व तीन नए न्यूट्रन उत्सर्जित होते हैं ।
ये नव उत्सर्जित न्यूट्रान, यूरेनियम के अन्य नाभिकों को विखण्डित करते हैं । इस प्रकार यूरेनियम नाभिकों के विखण्डन की एक श्रृंखला बन जाती है । इसी श्रृंखला अभिक्रिया को नियन्त्रित कर परमाणु रिएक्टरों में परमाणु ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है । नाभिकीय रिएक्टर में ईंधन के रूप में यूरेनियम या प्लूटोनियम का प्रयोग किया जाता है ।अभिक्रिया को नियन्त्रित करने के लिए मन्दक के रूप में भारी जल या ग्रेफाइट का प्रयोग किया जाता है । मन्दक रिएक्टर में न्यूट्रान की गति को धीमा करता है ।रिएक्टर में नियन्त्रक छड़ के रूप में कैडमियम या बोरॉन का प्रयोग किया जाता है । यह छड नाभिक के विखण्डन के दौरान निकलने वाले तीन नए न्यूट्रान में से दो को अवशोषित कर लेती है, जिससे अभिक्रिया नियन्त्रित हो जाती है और उत्पादित परमाणु ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित कर इसका प्रयोग लाभदायक कार्यों के लिए किया जाता है ।
विश्व में बहुत से परमाणु संपन्न देश हैं .आज अमेरिका , रूस , फ्रांस , इंग्लैण्ड और चीन आदि देशो के पास ऐसी परमाणु- शक्ति के पर्याप्त भण्डार मौजूद है | जिनमे भारत कि भी गिनती की जाती है और विश्व के सभी देशों को परमाणु शक्ति के बारे पता है की परमाणु बम कितना शक्तिशाली होता है परमाणु – शक्ति से अनेक ऐसे शस्त्र का निर्माण किया जा रहा है हो व्यापक संहार और विनाश कर पाने में समर्थ हुआ करते है | जिसका परिणाम द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका द्वारा परमाणु बम का प्रयोग जापान के दो शहरों जैसे हिरोशिमा और नागासाकी पर किया गया था . विश्व के ऐसे स्तिथि को देखते हुए राष्ट्र सुरक्षा को लेकर पुरे देश में डर का माहौल था . जिनको देखते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा होमी जे भाभा के उपलक्ष में परमाणु बम बनाने का फैसला लिया गया . १९७४ में परमाणु बम पूरी तरह बनकर तैयार हुआ और भारत के पोखरण विस्फोट के जवाब में विस्फोट करके उसने यह साबित कर दिया है की वह भी अब परमाणु – शक्ति – सम्पन्न देश बन गया है जिनका कोड नाम स्माइलिंग बुद्धा रखा गया था |
भारतीय वैज्ञानिकों ने 18 मई सन 1974 को राजस्थान में पोखरन नामक स्थान पर पहला सफल भूमिगत परमाणु- विस्फोट कर विश्व को दिखा दिया की भारतीय वैज्ञानिकों दुसरे उन्नत देशो के वैज्ञानिकों से पीछे नही है|इस एतिहासिक परमाणु परिक्षण की सारे संसार में प्रतिकिया हुई, कई देशो ने तो अपनी नाराजगी भी दिखाई परन्तु भारत अपने लक्ष्य में आगे बढ़ता गया |
भारत ने अटलबिहारी वाजपेयी के अध्यक्षता में ११ और १३ मई ,१९९८ को राजस्थान में ‘पोखरन’ नामक स्थान पर पाँच और परिक्षण करके सारे विश्व को चकित कर दिया | सभी बड़े देशो में इसके विरुद्ध प्रतिक्रिया भी हुई | यहाँ तक की कई देशो ने तो हमारी आर्थिक सहायता भी बन्द कर दी ऐसे ख़राब स्तिथि में रूस और फ्रांस ऐसे देश थे जो हमारे मित्र बनकर आगे आये और हमारी सहायता किये और हम अपने लक्ष्य पर अग्रसर है।
भारत का विचार है कि इस परमाणु – शक्ति का प्रयोग शांतिपूर्ण कार्यो जैसे बिजली का उत्पादन बढ़ाने ,भूमि से धातु तथा गैस निकालने बन्दरगाहो की सफाई करने , प्राकृतिक साधनों की खोज करने, रेडियो तथा दूरदर्शन का प्रसारण करने, मानूसन का अध्ययन करने आदि कार्यो के लिए किया जाएगा | युद्ध सामग्री बनाना भारत का बिल्कुल उद्देश्य नही है और हमने ये कसम भी खा रखी है की हम परमाणु से बने शास्त्रों का प्रयोग किसी भी देश पर पहले नहीं करेंगे।
परमाणु शक्ति के विकास से निम्नलिखित प्रमुख लाभ है:
अपने व्यक्तिगत प्रयासों से जरूरतमंद बच्चों के लिए शिक्षण सामग्री का प्रबंध कर नित्य विद्यालय से पहले या बाद में ऐसे बच्चों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर उन्हें मुख्य धारा में लाने का प्रयास रहेगा । विभाग के आदेश के अनुसार आज भी हमारे स्कूलों में वर्ष में दो छात्र अभिभावक सम्मेलन कराए जाने की व्यवस्था हैं मगर इस नवाचार को शिक्षक व्यवहारिक रूप देने की बजाय लीपापोती कर कागजों में ही मीटिंग करवा लेते हैं।
1. इससे ईंधन के अभाव के भय के विकास से मुक्ति मिल जाएगी।
2. इससे निरन्तर उपयोग हेतु पर्याप्त बिजली प्राप्त होगी।
3. इससे यान, मोटरगाड़ियाँ आदि चलने लगेंगी।
4. गुजरात में अणु विस्फोट से तेल निकलने से भारत को काफी आर्थिक लाभ पहुँचेगा।
5. चिकित्सा के क्षेत्र में भी यह महान् उपयोगी सिद्ध होगा। इससे केंसर आदि असाध्य रोग भी आइसोटोपों द्वारा ठीक हो जाएँगे।
जो देश परमाणु विस्फोट कर चुके हैं, यदि उन्होंने उनका शांतिमय उपयोग न किया तो विश्व का कोई भी क्षेत्र खतरे से खाली नहीं रहेगा। आज प्रत्येक मानव जीवित होते हुए भी परमाणु के संहारक रूप को देखकर अपने को सदा काल के गाल में समझता है।आज के युग की यह माँग है कि संहारक कार्यों के लिए परमाणु विस्फोट को एक दम रोक दिया जाए। यदि ऐसा न हुआ तो धरती पर मानव मात्र का अवशेष भी दिखाई न देगा। भारत का दष्टिकोण सदैव शांतिमय है जैसा कि डॉ० राजा रमन्ना ने अभिलाक्त किया कि हम लोग परमाण शक्ति के शांतिमय उपयोग की दिशा में कार्यरत हैं। अतः याद सभी राष्ट्र अपना यही दृष्टिकोण अपना कर अणु शक्ति का उपयोग मानव मात्र के कल्याण के लिए करें तो मानव के लिए अपूर्व वरदान सिद्ध होगा।
पद, पैसा, शौहरत बड़ी आसानी से कमाई जा सकती हैं, बहुत से उद्यम में ये आसानी से मिल जाते हैं. मेरे शिक्षक बनने के सपने की ओर प्रेरित करने वाली चीज सेवा और राष्ट्र निर्माण हैं. मेरा मानना है कि सेवा तो किसी भी क्षेत्र में की जा सकती हैं मगर शिक्षा में यदि सेवा का भाव हो तो निश्चय ही वह शिक्षा राष्ट्र निर्माण में सहायक सिद्ध होगी ।
हमारे देश का भविष्य कैसा होगा, यह बात इस पर निर्भर करता हैं हमारे स्कूल कैसे हैं हमारे अध्यापक कैसे है, शिक्षक व्यवस्था कैसी इस बात पर सब कुछ निर्भर करता हैं यदि मैं शिक्षक बना तो स्वयं को सौभाग्यशाली मानुगा कि एक ऐसी व्यवस्था का हिस्सा बनूगा जिसके हाथ में राष्ट्र निर्माण की बागडौर होगी. मैं पूर्ण ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के साथ राष्ट्र निर्माण के इस अभियान में अपना पूर्ण योगदान दूंगा ।
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